डंडार कला डाक घर में वर्षों से लटकता रहता है ताला, ग्रामीण झेल रहे परेशानियों की मार

डंडार कला गांव में डाकघर रहता है ग्रामीणों में है आक्रोश ग्रामीणों ने किया हंगामा

पलामू ज़िले के पांकी प्रखंड स्थित डंडार कला गांव के ग्रामीणों को डाक सेवाओं के लिए पिछले एक वर्ष से भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस गांव का डाकघर एक साल से नियमित रूप से नहीं खुल रहा है, जिससे गांव के लोग डाक से जुड़ी तमाम आवश्यक सेवाओं से वंचित रह गए हैं।

डाकघर की लापरवाही के कारण न सिर्फ पत्रों का वितरण ठप पड़ा है, बल्कि मनीऑर्डर, पेंशन वितरण और इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक (IPPB) से जुड़े लेनदेन भी पूरी तरह बाधित हो चुके हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि नियुक्त शाखा डाकपाल (BPM) रविरंजन कुमार सिंह नियमित रूप से ड्यूटी पर नहीं आते। इतना ही नहीं, सिस्टम में फर्जी डिलीवरी दिखाकर काम पूरा मान लिया जाता है, जबकि असल में कोई पत्र या सूचना ग्रामीणों को नहीं दी जाती।

इस समस्या को लेकर जुलाई 2024 में डाक अधीक्षक, पलामू को लिखित शिकायत भी सौंपी गई थी, लेकिन अब तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है। इससे ग्रामीणों में प्रशासन के प्रति गहरा आक्रोश देखने को मिल रहा है।

डाकघर की बिल्डिंग भी पूरी तरह जर्जर स्थिति में पहुंच चुकी है। न तो वहां बैठने की व्यवस्था है, और न ही दस्तावेज़ों या पत्रों को सुरक्षित रखने की कोई सुविधा। ऐसे में डाकघर का अस्तित्व महज़ नाम मात्र का रह गया है, जबकि इसकी ज़रूरत हर ग्रामीण को है — चाहे वह पेंशनधारी हो, किसान हो या छात्र।

गांव के मुखिया प्रद्युम्न सिंह ने भी ग्रामीणों की बातों को सही ठहराते हुए डाक विभाग से शीघ्र कार्रवाई की मांग की है। वहीं, मुन्ना सिन्हा, निपुण बाबू और अन्य ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द समाधान नहीं हुआ तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।

डाकघर जैसी मूलभूत सेवा का इस तरह से बंद रहना न केवल ग्रामीणों के अधिकारों का हनन है, बल्कि यह सरकारी तंत्र की उदासीनता को भी उजागर करता है। आज के डिजिटल युग में भी अगर ग्रामीण भारत को ऐसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है ।

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